Rajesh rajesh

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लेखनी प्रतियोगिता -18-Mar-2023 माता-पिता की शिक्षा

छत्रपाल अपने गांव का सबसे अच्छा कुश्ती का पहलवान था। उसके परिवार में उसका बेटा सूरज और पत्नी रामेश्वरी थी। छत्रपाल के आसपास के गांव के लोग उसके गांव में हर साल कुश्ती का दंगल करवाते थे। जिस भी गांव का पहलवान जीतता था तो उसका नाम पूरे इलाके में हो जाता था। और उसके साथ साथ उसके गांव का भी।


लेकिन हमेशा छत्रपाल कुश्ती का दंगल जीता था और उसकी वजह से पूरे गांव का नाम दूर-दूर तक हो जाता था। 

छत्रपाल का सपना था कि उसका बेटा सूरज कश्ती में उससे भी अच्छा पहलवान बने।

 जब भी छत्रपाल अपने बेटे से जोशीली बातें करता था तो उसकी पत्नी रामेश्वरी हमेशा छत्रपाल को ऐसी बातें करने के लिए मना करती थी। रामेश्वरी इसलिए छत्रपाल से मना करती थी कि ऐसी जोशीली बातों का बच्चों पर गलत असर पड़ता है।

जब भी रामेश्वरी छत्रपाल को ऐसी बातें करने से मना करती थी तो छत्रपाल गुस्से में रामेश्वरी को उल्टा डरता था और कहता था कि "तू मेरे बेटे सूरज को कमजोर इंसान बनाना चाहती है क्या।"

रामेश्वरी को अपने पति छत्रपाल की वजह से अपने बेटे सूरज का भविष्य हमेशा खतरे में नजर आता था।

सूरज अपने पिता की जोशीली बातें सुनने के बाद भी अपने पिता का पहलवान बनने का सपना पूरा नहीं कर पाता है। लेकिन सूरज अपने पिता की बातें सुन सुन कर बहुत गुस्से वाला हो गया था। और छोटी-छोटी बातों पर किसी से भी मारपीट झगड़ा करने लगता था। छत्रपाल की वजह से 

छत्रपाल की जोशीले बातें सुन सुन कर सूरज बहुत गुस्से वाला हो गया था। एक दिन सूरज का झगड़ा दूसरे गांव के लड़कों से हो जाता है और सूरज गुस्से में उस लड़के का ख़ून कर देता था। और उस लड़के का खून करने के बाद सूरज शहर भाग जाता है।

शहर में सूरज की मुलाकात मोहर सिंह नाम के व्यक्ति से हो जाती है। मोहर सिंह अपराधी किस्म का व्यक्ति था। और मोहर सिंह सूरज को अपनी गैंग में शामिल कर लेता है। और कुछ वर्ष बीतने के बाद मोहर सिंह सूरज को बहुत बड़ा गैंगस्टर्स बना देता है। छत्रपाल की जोशीली बातों की वजह से सूरज बहुत गुस्से वाला हो गया था, इसलिए सूरज कुछ ही वर्षों में बहुत लोगों की हत्या कर देता है।

 एक दिन सूरज को अपनी मां रामेश्वरी और पिता छत्रपाल की बहुत याद आती है। और सूरज अपने मां बाप से मिलने के लिए पुलिस वालों से छुपते छुपाते अपने गांव पहुंचता है।  रात को घर पहुंचने के बाद सूरज धीरे से अपने घर का दरवाजा खटखटा ता है।

 सूरज की मां रामेश्वरी जैसे ही दरवाजा खोलकर सूरज को देखती है तो सूरज को अपने गले लगा कर फूट-फूट कर रोने लगती है। रामेश्वरी की रोने की तेज तेज आवाज सुनकर छत्रपाल भी वहां आ जाता है और सूरज को देख कर अपने सीने से लगा लेता है।

सूरज को देखकर छत्रपाल की आंखों में भी आंसू आ जाते हैं और छत्रपाल अपने बेटे सूरज और पत्नी रामेश्वरी से कहता है कि "मेरी जोशीली बातों की वजह से तेरा जीवन बर्बाद हो गया है।"

और रोते-रोते सूरत से कहता है कि अगर उस समय मैं तेरी मां की बात मान लेता तो आज तू भी गांव के और लड़को जैसे अपना जीवन सीधा सादा जीता।

 और उसी समय पुलिस वाले सूरज को गोलियों से छलनी कर देते हैं सूरज अपनी मां रामेश्वरी और पिता छत्रपाल की गोदी में  दम तोड़ देता है। सूरज के मरने के बाद छत्रपाल गांव वालों से कहता है कि" कभी भी अपने बच्चों के सामने जोशीली बात नहीं करनी चाहिए है । नहीं तो मेरे जैसे औलाद की मौत का दुख पूरे जीवन झेलना  पड़ेगा।"

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6 Comments

👌👌

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Seema Priyadarshini sahay

28-Mar-2023 09:54 PM

बेहतरीन रचना

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Varsha_Upadhyay

28-Mar-2023 05:52 PM

शानदार

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